महेंद्र और मूमल : राजस्थान की सबसे दुख भरी प्रेम कहानी Love Story in Hindi - Hindi Kahaniyan हिंदी कहानियां 

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शुक्रवार, 9 अगस्त 2024

महेंद्र और मूमल : राजस्थान की सबसे दुख भरी प्रेम कहानी Love Story in Hindi

महेंद्र और मूमल : राजस्थान की सबसे दुख भरी प्रेम कहानी 


एक समय की बात है, राजस्थान के पश्चिम में अमरकोट नाम की एक रियासत है, जो आज के पाकिस्तान में स्थित है। उस समय अमरकोट के शासक राजकुमार महेंद्र थे, राजकुमार महेंद्र एक ऊंची कद काठी का पराक्रमी नौजवान था, वह दिखने में बहुत सुंदर और तेजस्वी था। एक दिन महेंद्र अपने बहनोई गुजरात के शासक हमीर जडेजा के साथ शिकार खेलने गया। दोनों ने खरगोश का शिकार करने की ठानी। दोंनो अपने-अपने ऊंटों पर सवार होकर खरगोश की तलाश में रेगिस्तान के धोरों में घूमने लगे। 


बहुत समय बीत जाने के बाद भी उन्हें कोई खरगोश दिखाई नहीं दिया, वे दोनों खरगोश की तलाश करते-करते बहुत दूर निकल गए और राजस्थान के जैसलमेर पहुंच गए। तभी उन दोनों को एक खरगोश दिखाई दिया, उन दोनों को देखते ही खरगोश बहुत तेजी से दौड़ने लगता है, दोनों खरगोश का पीछा करते-करते जैसलमेर के लोद्रवा की काक नदी तक पहुंच जाते हैं। खरगोश दौड़ते-दौड़ते नदी किनारे की झाड़ियों में छिप जाता है और उन दोनों को दिखाई नहीं देता।

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अब शाम का समय हो चुका था, महेंद्र और हमीर दोनों थक हार कर नदी के किनारे बैठ जाते हैं, दोनों नदी का पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं। हमीर ने महेंद्र से कहा हम अपने क्षेत्र से बहुत दूर निकल आए हैं, और अब दिन भी ढल चुका है, हमें आज रात को अपने रहने खाने की व्यवस्था यहीं करनी होगी। महेंद्र और हमीर अपने आसपास देख कर रहने की कोई जगह ढूंढने लगते हैं, तभी उन्हें नदी की दूसरी ओर एक विशाल महल दिखाई देता है। दोनों नदी पार करके उस महल तक पहुंच जाते हैं, वहां जाकर उन्हें मालूम होता है कि यह महल लोद्रवा की राजकुमारी मूमल का है। 


राजकुमारी मूमल अपनी सुंदरता और गुणों के लिए प्रसिद्ध थी। मूमल की सुंदरता की चर्चा दूर-दूर तक थी, उसे देखने के लिए कई राजकुमार और वीर योद्धा लोद्रवा आते रहते थे। महेंद्र और हमीर ने देखा महल के चारों ओर सुंदर फूलों के पौधे लगे हैं, दास दासियाँ सेवा में तत्पर खड़े है, सैकड़ो सैनिक पहरा दे रहे हैं। वे दोनों पहरेदारों को अपना परिचय देते हैं, और बताते हैं, की हम अमरकोट के राजकुमार महेंद्र और गुजरात के शासक हमीर हैं। हम शिकार करने के लिए आए थे, परंतु शिकार का पीछा करते-करते हम रास्ता भटक गए हैं, शाम का समय भी हो चुका है, इसलिए हम आपके महल में रात्रि विश्राम करना चाहते हैं। यह सुनकर पहरेदार उन्हें महल के भीतर ले जाते हैं और उनके खान-पान और विश्राम की व्यवस्था की जाती है। 

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रात्रि विश्राम करने के बाद अगले दिन सुबह महेंद्र और हमीर जाने लगते हैं, वे पहरेदारों से अमरकोट का रास्ता पूछते हैं. तभी राजकुमारी मूमल की दासी आकर उन दोनों से कहती है,  राजकुमारी मूमल की आज्ञा के बिना आप दोनों यहां से जा नहीं सकते। यहां जो भी अतिथि आते हैं वह राजकुमारी मूमल से मिले बिना नहीं जाते। आप दोनों एक-एक करके राजकुमारी मूमल से मिल सकते हैं। यह सुनकर उन दोनों राजकुमारों को बड़ी प्रसन्नता हुई, वे दोनों भी राजकुमारी मूमल से मिलना चाहते थे। 


दोनों ने तय किया पहले हमीर जडेजा राजकुमारी से मिलने जाएंगे। राजकुमारी का निवास महल की सबसे ऊपरी मंजिल पर बना हुआ था, राजकुमारी के निवास तक पहुंचने का मार्ग बड़ा ही दुर्गम था, मार्ग में शेर भालू अजगर मगरमच्छ जैसे भयानक जानवर बैठे थे। जब हमीर राजकुमारी के निवास की ओर बढ़ने लगा तो मार्ग में ऐसे भयानक जानवरों को देखकर वह राजकुमारी से मिले बिना ही वापस लौट आया। हमीर ने आकर महेंद्र को बताया कि यह राजकुमारी बहुत विचित्र है, उसने अपनी सुरक्षा के लिए मार्ग में खतरनाक जानवरों को छोड़ रखा है। यह सुनते ही महेंद्र जो की एक निडर योद्धा था, राजकुमारी से मिलने की ठान लेता है। 

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महिंद्र हाथ में तलवार लेकर राजकुमारी के निवास की और बढ़ने लगता है, जैसे ही वह राजकुमारी के कक्ष के पास पहुंचता है, उसे एक भयानक शेर दिखाई देता है। महेंद्र अपनी तलवार के एक ही बार से उस शेर की गर्दन धड़ से अलग कर देता है। शेर की गर्दन अलग होते ही राजकुमार को मालूम होता है, कि यह शेर और बाकी जानवर असली नहीं बल्कि मोम के पुतले हैं। अब राजकुमार महेंद्र बेखौफ आगे बढ़कर राजकुमारी मूमल के कक्ष में पहुंच जाता है। वहां जाकर वह राजकुमारी मूमल को देखता है तो देखता ही रह जाता है। राजकुमारी मूमल किसी अप्सरा के समान सुंदर थी। 


राजकुमार महेंद्र भी सुंदरता में किसी से कम नहीं थे, वे दोनों एक दूसरे को देखकर आकर्षित हो जाते हैं। दोनों एक दूसरे से बातें करने लग जाते हैं, बातें करते-करते कब शाम हो जाती है, दोनों को इसका पता ही नहीं चलता।  अगले दिन जब महेंद्र राजकुमारी से अमरकोट जाने की इजाजत मांगता है, तो राजकुमारी उन्हें जाने की इजाजत नहीं देती और उनके सामने अपने विवाह का प्रस्ताव रखती है। राजकुमार महेंद्र कहते हैं, कि उनके पहले से ही 6 विवाह हो रखे हैं, इसलिए वह राजकुमारी मूमल से विवाह नहीं कर सकते।  

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राजकुमारी मूमल ने कहा, यदि आप मुझसे विवाह नहीं कर सकते, तो आपको मुझे यह वचन देना होगा कि आप मुझसे रोज मिलने आएंगे। राजकुमार महेंद्र भी राजकुमारी मूमल पर मोहित हो चुके थे, इसलिए उन्होंने राजकुमारी से रोज मिलने का वचन दे दिया। अब राजकुमारी से विदा लेकर राजकुमार महेंद्र अपने बहनोई हमीर जडेजा के साथ अमरकोट के लिए रवाना हुए। राजकुमार महेंद्र राजकुमारी मूमल की सुंदरता पर मोहित हो चुके थे, वे भी प्रतिदिन राजकुमारी से मिलना चाहते थे, परंतु अमरकोट से लोद्रवा की दूरी 100 मील से अधिक थी। महेंद्र को यह चिंता हो रही थी कि वह प्रतिदिन 100 मील की दूरी कैसे तय करेगा। 


महेंद्र राजकुमारी को दिए अपने वचन को नहीं तोड़ना चाहता था, इसलिए महेंद्र एक ऊंट पालक के पास पहुंचता है।  महेंद्र उससे पूछता है, क्या कोई ऐसा ऊंट है जो मुझे रात को अमरकोट से लोद्रवा पहुंचा दे और सुबह होने से पहले वापस ले आए। यह सुनकर ऊंट पालक राजकुमार महेंद्र को अपना सबसे तेज दौड़ने वाला ऊंट चीतल देता है। अब राजकुमार महेंद्र प्रतिदिन इस तेज रफ्तार ऊंट पर बैठकर अमरकोट से लोद्रवा पहुंच जाता और राजकुमारी मूमल से मिलकर सुबह होने से पहले ही वापस अमरकोट लौट आता और अपने कक्ष में जाकर सो जाता। 


कई महीनों तक यह सिलसिला लगातार चलता रहा, धीरे-धीरे राजकुमार की सभी रानियों को शक हो जाता है। जब रानियों ने मालूम करवाया तो उन्हें पता चला कि राजकुमार महेंद्र अमरकोट से लोद्रवा जाते हैं और राजकुमारी मूमल से मिलते हैं। महेंद्र को मूमल से मिलने से रोकने के लिए उनकी रानियों ने चीतल ऊंट को विष  देकर मरवा दिया। चीतल ऊंट को मरा देखकर राजकुमार महेंद्र चिंतित हो जाता हैं, कि अब वह प्रतिदिन मूमल से मिलने कैसे जाएगा। 

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इसलिए वे वापस उस ऊंट पालक के पास पहुंचते हैं और उससे चीतल जैसा ही दूसरा ऊंट मांगते हैं। ऊंट पालक के पास एक ऊंटनी थी, जो चीतल के समान ही तेज रफ्तार से दौड़ती थी, ऊंट पालक में वह ऊंटनी महेंद्र को दे दी। साथ ही ऊंट पालक ने महेंद्र को सावधान किया, कि यदि आपने इस ऊंटनी पर चाबुक से प्रहर किया तो यह आपको मार्ग से भटका देगी, इसलिए इस पर किसी प्रकार का प्रहार मत कीजिएगा। महिंद्रा ऊंट पालक की बात समझ गया तथा ऊंटनी को लेकर लोद्रवा के लिए रवाना हो जाता है। 


रास्ते में महेंद्र ऊंट पालक की बात भूल जाता है और राजकुमारी मूमल से मिलने की जल्दी में ऊंटनी पर चाबुक से प्रहार कर देता है। चाबुक का प्रहार लगते ही ऊंटनी विपरीत दिशा में दौड़ने लगती हैं और महेंद्र को रेगिस्तान में भटका देती है। उधर लोद्रवा के महल में राजकुमारी मूमल महेंद्र का इंतजार कर रही थी, मार्ग में भटकने के कारण आज महेंद्र समय पर नहीं पहुंच पाया था, इसलिए राजकुमारी उदास हो जाती है। उदास राजकुमारी का मन बहलाने के लिए राजकुमारी की बहन और उनकी सखियां खेल खेलने लगते हैं, इस खेल में राजकुमारी की बहन पुरुषों जैसे कपड़े पहनती है। रात में बहुत अधिक देर हो जाने के कारण दोनों बहनें खेलते-खेलते सो जाती हैं। 

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सोते समय मूमल की बहन ने पुरुषों जैसे कपड़े पहने हुए होते हैं, उधर महेंद्र जैसे तैसे रास्ता खोज कर मूमल के महल पहुंचता है, और सीधे मूमल के कक्ष की ओर जाता है। जैसे ही महेंद्र ने मूमल के कक्ष में प्रवेश किया, वहां का नजारा देखकर उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। महेंद्र ने देखा की मुमल एक पुरुष के साथ सो रही है, यह दृश्य देखकर महेंद्र को बहुत क्रोध आता है, और उसके हाथों से उसका चाबुक वहीं छूट जाता है। महेंद्र राजकुमारी मूमल से बिना मिले ही वापस अमरकोट लौट जाता है। 


जब मूमल सुबह सोकर उठती है तो उसे अपने कक्ष के बाहर गिरा हुआ महेंद्र का चाबुक दिखाई देता है, मूमल सोचती है महेंद्र यहाँ आया तो अवश्य था, लेकिन वह मुझसे मिले बिना वापस क्यों लौट गया। फिर मूमल को समझ आया अवश्य ही महेंद्र ने उसकी बहन को पुरषों के कपड़ों में देखकर यह समझा होगा की वह किसी पुरुष के साथ सो रही है, इसलिए वह मुझसे नाराज होकर वापस लौट गया। उधर महेंद्र अमरकोट वापस लौटने के बाद मूमल से नफरत करने लगा था, उसकी नफरत इतनी बढ़ गई थी कि उसने ठान लिया था कि वह अब मूमल से कभी नहीं मिलेगा। 


15-20 दिन का समय बीत गया, महेंद्र मूमल से मिलने नहीं गया। उधर मूमल महेंद्र से सच्चा प्रेम करती थी, वह रोज महेंद्र के आने की बेसब्री से प्रतीक्षा करती थी, लेकिन उस दिन के बाद महेंद्र उससे मिलने कभी नहीं आया। मूमल ने महेंद्र को कई पत्र भी लिखें, परंतु महेंद्र ने किसी भी पत्र का जवाब नहीं दिया। एक दिन मूमल ने निश्चय किया कि वह स्वयं महेंद्र से मिलने अमरकोट जाएगी। मूमल अपने कुछ सेवकों के साथ अमरकोट के लिए प्रस्थान करती है। 

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अमरकोट में महेंद्र के महल के बाहर पहुंचकर मूमल अपना संदेश महेंद्र को भिजवाती है, की लोद्रवा की राजकुमारी मूमल उनसे मिलने स्वयं आई है। यह संदेश महेंद्र तक पहुंचता है, परंतु महिंद्रा अभी भी मूमल से नाराज था, इसलिए वह राजकुमारी मूमल को संदेश भिजवाता है, कि महेंद्र की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए वह उनसे नहीं मिल सकते। मूमल हर हाल में महेंद्र से मिलना चाहती थी, इसलिए उसने अमरकोट में ही रात्रि विश्राम करने का निर्णय किया। मूमल अमरकोट में ही पड़ाव डालकर निवास करने लगी। 


अगले दिन सुबह होने पर राजकुमारी मूमल फिर से संदेश भिजवाती है, कि अब राजकुमार महेंद्र का स्वास्थ्य कैसा है, क्या वह मुझसे मिल सकते हैं। महेंद्र ने एक बार फिर ख़राब स्वास्थ्य का बहाना बनाकर मूमल से मिलने से मना कर दिया। राजकुमारी मूमल ने कहा जब तक राजकुमार महेंद्र का स्वास्थ्य ठीक नहीं हो जाता, वह अमरकोट में ही रहेंगीं और उनसे मिलकर ही वापस जाएंगी। राजकुमारी मूमल महेंद्र से सच्चा प्रेम करती थी, इसलिए वह रोज अपने दास दासियों को भेज कर महेंद्र के स्वास्थ्य के बारे में पूछती और उनसे मिलने की विनती करती। लेकिन महेंद्र रोज अपने स्वास्थ्य का बहाना बनाकर उनसे मिलने से मना कर देता। 

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बहुत दिनों तक ऐसा ही क्रम चलता रहा। रोज-रोज एक ही उत्तर देकर महेंद्र परेशान हो गया, एक दिन महेंद्र ने अपने द्वारपालों को आदेश दिया, कि अगली बार जब राजकुमारी मूमल के सेवक उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछने आए, तो उनसे कह देना की राजकुमार महेंद्र को काले सांप ने डस लिया इस कारण उनकी मृत्यु हो गई। अगले दिन जब राजकुमारी मूमल के सेवक महेंद्र के स्वास्थ्य के बारे में पूछने आए, तो द्वारपालों ने महेंद्र के आदेश अनुसार उनसे कह दिया कि राजकुमार महेंद्र की सांप के डसने के कारण मृत्यु हो गई। 


जब सेवकों ने यह ख़बर राजकुमारी मूमल तक पहुंचाई, की महेंद्र की सांप के डसने के कारण मृत्यु हो चुकी है, यह खबर सुनते ही राजकुमारी मूमल जमीन पर गिर पड़ी। इस खबर को सुनकर राजकुमारी मूमल को इतना गहरा सदमा लगा कि उनकी मृत्यु हो गई। राजकुमारी मूमल महेंद्र से इतना अधिक प्रेम करती थी कि महेंद्र की मृत्यु की खबर सुनते ही उनके प्राण निकल गए। 

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यह बात जब राजकुमार महेंद्र तक पहुंचती है, कि आपकी मृत्यु का समाचार सुनकर राजकुमारी मूमल ने प्राण त्याग दिए। इस खबर को सुनकर राजकुमार महेंद्र को भी गहरा सदमा लगता है, वह तुरंत राजकुमारी मूमल के मृत शरीर के पास पहुंचता है। राजकुमारी के मृत शरीर को देखकर महेंद्र को बहुत दुख होता है, वह स्वयं को राजकुमारी की मृत्यु का कारण मानने लगता है और इसी सदमे में वह स्वयं भी पागल हो जाता है, और कुछ ही दिनों में राजकुमार महेंद्र ने भी राजकुमारी मूमल की याद में प्राण त्याग दिए। इस प्रकार महेंद्र और मूमल प्रेम कहानी का दुखद अंत हो जाता है। 


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