एक आइडिया और उसकी जिंदगी बदल गयी Hindi Story in Hindi
Motivational Story in Hindi
अफ्रीका के एक अत्यंत गरीब देश में एक लड़का रहता था। वह लड़का अपने आठ भाई बहनों में सबसे बड़ा था। उसके पिता मजदूरी करके बहुत कम पैसे कमा पाते थे, जो उनके परिवार के लिए काफी नहीं थे। उन सबका जीवन अत्यंत गरीबी में व्यतीत हो रहा था। उनके जीवन में मूलभूत वस्तुओं जैसे खाना और कपडा जैसी चीजों का भी बहुत अधिक अभाव था।
ना तो उनके पास पहनने को अच्छे कपडे थे, और ना ही उन सबको भरपेट भोजन मिल पाता था, कई-कई दिन उनको बिना भोजन के बिताने पड़ते थे। घर के नाम पर उनके पास केवल एक जर्जर सी झोपडी थी, जिसे मिटटी से बनाया गया था।
चूँकि वह लड़का अपने सभी भाई बहनो में सबसे बड़ा था, इसलिए वह अपने परिवार की मदद करना चाहता था। उससे अपने परिवार की ऐसी हालत देखी नहीं जाती थी, इसलिए वह कोई नौकरी करके अपने परिवार की मदद करना चाहता था। परन्तु वह जिस देश में रहता था, वह देश दुनिया के कुछ सबसे गरीब देशों में से एक था। उस देश में सरकारी नौकरी लगभग ना के बराबर थी, इसके अलावा उस देश में कोई बड़ी कंपनी भी नहीं थी, जो लोगो को रोजगार दे सके।
उस देश में रोजगार और काम धंधों का नितांत अभाव था। वहां के लोग कॉफी की खेती और छोटा-मोटा काम करके जैसे तैसे अपना जीवन यापन किया करते थे। ऐसे हालात में उस लड़के को कहीं कोई काम नहीं मिल रहा था, और वह लड़का अपने परिवार के लिए चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था। वह लड़का रोज सुबह-सुबह अपने घर से निकल जाता और शहर में जाकर काम ढूंढ़ने की कोशिश करता।
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एक दिन उसकी मेहनत सफल हो गयी, और उसे शहर में एक पेट्रोल पम्प पर काम मिल गया। तनख्वा बहुत ही कम थी, पर उसके लिए काफी थी, क्योकि जिसके पास कुछ भी न हो उसको यदि कुछ भी मिल जाये तो उसके लिए थोड़ा भी बहुत होता है। वह बहुत मेहनत से काम करने लगा, वह रोज पैदल शहर जाता और दिनभर काम करके पैदल ही वापस आता।
इतनी मेहनत करने के बाद वह बहुत थक जाता था, परन्तु अब वह भी अपने परिवार की कुछ मदद कर पा रहा था, वह तो इसी से खुश था। ज्यादा तो नहीं पर अब उसके परिवार वाले रोज भरपेट भोजन कर लिया करते थे। लेकिन उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी नहीं थी, मुलभुत वस्तुओं का आभाव उनके जीवन में हमेशा बना रहता था।
रोज पैदल चलने के कारण उसकी चप्पल बहुत जल्दी घिस जाया करती थी। वह हमेशा किसी कबाड़ी से पुराने जूते-चप्पल खरीद कर पहनता था। नए जूते उसकी हैसियत के बाहर थे, इसलिए वह पुराने जूते चप्पल ही खरीदता था। लेकिन वह इतना अधिक पैदल चलता था, की उसकी चप्पल कुछ ही हफ्तों में पूरी तरह घिस जाया करती थी।
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एक दो साल तक ऐसे ही चलता रहा। वह बड़ी मेहनत से काम करता और अपने परिवार की मदद करता। परन्तु इतनी मेहनत के बाद भी वह अपने परिवार के लिए कुछ बेहतर नहीं कर पा रहा था। वह अपने परिवार को सभी सुख सुविधाएं देना चाहता था। परन्तु पेट्रोल-पंप पर काम करके उसका यह सपना पूरा नहीं हो सकता था, परन्तु उसके पास इस काम के अलावा कोई और काम था भी नहीं।
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एक दिन वह लड़का पेट्रोल पंप पर बैठा-बैठा अपने खाली समय में आती जाती गाड़ियों को देख रहा था। तभी उसे गाड़ियों के टायर को देखकर एक उपाय सुझा। उसने सोचा गाड़ियों के टायर कई लाख किलोमीटर चलते है, फिर भी उनका ज्यादा कुछ नहीं बिगड़ता, और पुराने टायर किसी काम के भी नहीं होते, इसलिए बहुत सस्ते में मिल जाते है। इसलिए इन टायरों से कुछ किया जा सकता है।
उसी दिन शाम को वह एक कार का पुराना टायर खरीद कर घर ले गया। घर वालों ने जब उससे पूछा की इस पुराने टायर का क्या करेगा, तो उसने कुछ नहीं कहा। अब तो वह रोज शाम को एक पुराना टायर घर ले आता। उसने घर पर बहुत सारे टायर इकट्ठे कर लिए, घर वाले जब उससे पूछते की इन टायरों का क्या करेगा तो वह कुछ नहीं बताता।
उसके घर वाले सोचने लगे की इसका दिमाग ख़राब हो गया है, आस पास के लोग भी उस पर हसने लगे, की यह लड़का तो पागल हो गया है, जो पुराने बेकार टायरों को जमा कर रहा है। परन्तु उस लड़के को लोगो की बातों से कोई फर्क नहीं पड़ा, उसे तो अपने आइडिया पर काम करना था, इसलिए वह लगातार टायर जमा करता रहा।
पांच से छः महीनों तक वह लगातार टायर खरीद कर घर लाता रहा। अब उसके घर के बहार टायरों का एक बहुत बड़ा ढेर जमा हो गया था। बेकार टायरों का इतना बड़ा ढेर देखकर कई लोग उस पर हँसते, कई लोग उसे पागल समझते पर उसे कहाँ किसी की परवाह थी, वह किसी की परवाह किये बिना अपने काम में लगा हुआ था।
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एक दिन वह अपने काम से जल्दी ही घर लौट आया। इस बार उसके हाथ में कोई पुराना टायर नहीं बल्कि कुछ औजार और कुछ सामान था। घर आकर उसने घरवालों से कहा मैं कल से काम करने शहर नहीं जाऊंगा, बल्कि घर से ही इन टायरों से काम करूँगा। उसके घर वालों को अब विश्वास हो गया की यह लड़का पूरी तरह से पागल हो गया है।
उसी दिन उस लड़के ने अपने औजारों से चार-पांच टायरों को काट कर दस जोड़ी चप्पल बना ली। पुराने टायरों से बनी हुई चप्पल बहुत मजबूत थी, और लम्बे समय तक चलने वाली थी, और पहनने में भी बहुत आरामदायक थी। इसके अलावा पुराने टायर से बनी होने के कारण वह चप्पलें बहुत ही कम लागत में बनकर तैयार हो गयी थी। जिन्हें वह बहुत सस्ते दाम में बेचकर भी बहुत अच्छा मुनाफा कमा सकता था।
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वह लड़का जानता था की उसके देश के लोग बहुत गरीब हैं, वे नए जूते-चप्पल नहीं खरीद सकते। इसलिए यदि उन्हें कोई मजबूत और टिकाऊ चप्पल सस्ते दाम में मिलेगी, तो वे उसे जरूर खरीद लेंगे। इसलिए उसे पुराने टायरों से चप्पल बनाने का विचार आया था।
अगले दिन वह लड़का उन दस जोड़ी चप्पलों को लेकर शहर में बेचने चला गया। शहर में लोगों को उसकी मजबूत और सस्ती चप्पलें बहुत पसंद आयी, और लोगो ने हातों हाथ उसकी चप्पलें खरीद लीं। इन चप्पलों से उसे बहुत अच्छा मुनाफा हो गया था। उसने कभी सोचा भी नहीं था की लोगों को उसकी चप्पलें इतनी ज्यादा पसंद आएगी।
इतनी जल्दी चप्पलें बिक जाने के कारण उसका उत्साह बहुत बढ़ गया था। चप्पलें बेच कर वह दोपहर तक अपने घर लौट आया। जब घर वालों को उसने सारी बात बताई, की लोगों को उसकी चप्पलें बहुत पसंद आयी और लोगों ने हाथों हाथ उसकी चप्पलों को खरीद लिया, तो उसके घर वाले भी बहुत खुश हो गए, और उस लड़के के दिमाग की तारीफ करने लगे। अब तो उसके घर वाले भी चप्पल बनाने में उसकी मदद करने लगे।
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अगले दिन वह बीस जोड़ी चप्पल लेकर शहर गया, और दोपहर तक उसकी सभी चप्पलें बिक गयी। अब उसका चप्पल बनाने का काम चल पड़ा था। कुछ ही हफ़्तों में उसके द्वारा इखट्टा किया गया टायरों का ढेर ख़त्म हो गया। अब उसने पूरा ट्रक भरकर पुराने टायर मंगा लिए। अब उसका पूरा परिवार चप्पलें बनाने में उसकी मदद करने लगा। उसके पिताजी भी मजदूरी का काम छोड़कर उसके काम में मदद करने लगे।
जब उसका काम बढ़ने लगा तो उसकी आर्थिक स्थिति भी सुधरने लगी। सबसे पहले उसने शहर आने जाने के लिए किस्तों पर एक पुरानी गाड़ी खरीद ली। गाड़ी की मदद से उसका बहुत समय बचने लगा और वह ज्यादा चप्पलें शहर ले जा कर बेचने लगा। अब उसने अलग-अलग डिजाइन की चप्पलें बना कर बेचना शुरू कर दिया। उसकी चप्पलें मजबूत, सस्ती और सुन्दर थी, जिसके कारण समय के साथ उनकी डिमांड बढ़ने लगी।
डिमांड बढ़ने पर उसने कुछ मशीने खरीद कर चप्पल बनाने का एक छोटा कारखाना खोल लिया। अब उसके आस पास रहने वाले लोग जो उस पर हँसते थे, वे उसके पास काम माँगने आने लगे। उसने कई लोगों को अपने कारखाने में काम पर रख लिया। कुछ ही वर्षो में उसने ऐसे कई कारखाने देश के अलग-अलग हिस्सों में खोल लिए, जिनमे हजारो लोग काम करने लगे। उसकी बनाई चप्पलें पुरे देश में बिकने लगी और कुछ अन्य गरीब देशों में भी एक्सपोर्ट होने लगी।
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अब उस लड़के के सभी सपने सच हो गए थे, उसका परिवार बेहतर जिंदगी जी रहा था, उनके पास सभी सुख सुविधाएँ और रहने के लिए एक अच्छा और आलिशान घर था। हजारों लोग उसकी कम्पनी में काम करते थे। अब उसकी गिनती उसके देश के कुछ सबसे अमीर लोगो में की जाती थी। उसके एक आइडिया ने उसकी पूरी जिंदगी बदल कर रख दी थी।
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